Bank Closed: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए इस वर्ष एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 11 बैंकों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। यह कार्रवाई बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण की गई है।
लाइसेंस रद्द करने के कारण
आरबीआई ने अपने नोटिस में स्पष्ट किया है कि इन बैंकों को चालू रखना जमाकर्ताओं के लिए हानिकारक था। इन बैंकों में से अधिकांश के पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी और उनकी आय की संभावनाएं भी नगण्य थीं। साथ ही, ये बैंक अपने जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ थे।
प्रभावित बैंकों की सूची
इस कार्रवाई में शामिल प्रमुख बैंक हैं:
1.दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक (आंध्र प्रदेश)
2.श्री महालक्ष्मी मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक (गुजरात)
3.सिटी को-ऑपरेटिव बैंक (मुंबई)
4.बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक (उत्तर प्रदेश)
5.महाभैरव को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक (असम)
जमाकर्ताओं के लिए राहत
DICGC अधिनियम 1961 के अनुसार, प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम से ₹5,00,000 तक की राशि प्राप्त करने का हकदार है। यह प्रावधान जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करता है और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
भविष्य की कार्रवाई
अब इन बैंकों में नई जमा स्वीकार करने और लेनदेन पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। आरबीआई इन बैंकों के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिससे जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि वापस मिल सके।
यह कार्रवाई बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास बनाए रखने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आरबीआई की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कदम भारतीय बैंकिंग प्रणाली की मजबूती और पारदर्शिता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आगे की राह
बैंकिंग क्षेत्र में ऐसी कार्रवाई यह संकेत देती है कि वित्तीय संस्थानों को नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। जमाकर्ताओं को भी अपने बैंक की वित्तीय स्थिति के प्रति सजग रहना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर उचित कदम उठाने चाहिए।